"वे लोग ही, जिनमें अप्रतिम उत्साह तथा धैर्य है, जिन्होंने आत्मोत्सर्ग की एक निष्ठ भावना को सतत् विकसित किया है, जिनमें अपने उद्देश्य के प्रति अटूट निष्ठा है, और जिसे वे महान् तथा गरिमामय समझते हैं, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय जैसे संस्था की सेवा कर सकते हैं।"

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